Sunday, September 21, 2014

PM मोदी - एक्सक्लूसिव इंटरव्यू

सीएनएन पर नरेंद्र मोदी का पूरा इंटरव्यू हिंदी में पढ़ें

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी अमेरिका यात्रा से पहले सीएनएन के वरिष्ठ पत्रकार फरीद जकारिया को एक्सक्लूसिव इंटरव्यू दिया। पढ़िए उस इंटरव्यू के सवालों के जवाबः-







फरीद जकारियाः आपके चुनाव के बाद लोगों ने एक प्रश्न दोबारा पूछना शुरू कर दिया है, जो पिछले दो दशकों में कई बार पूछा जा चुका है। वह यह है, कि क्या भारत अगला चीन होगा? क्या भारत स्थिरता से 8 से 9 प्रतिशत की दर से विकास कर पाएगा और खुद को बदलकर दुनिया में बदलाव ला सकेगा?
प्रधानमंत्री मोदीः देखिए, भारत को कुछ भी बनने की जरूरत नहीं है। भारत को भारत ही बनना चाहिए। ये वो देश है, जो कभी सोने की चिड़िया कहा जाता था। हम जहां थे, वहां से नीचे आए हैं। फिर से उठने की हमारी संभावनाएं बढ़ी हैं। दूसरी बात है, अगर आप पिछली पांच शताब्दियों या दस शताब्दियों का डिटेल देखेंगे, तो आपके ध्यान में आएगा, कि भारत और चीन ने हमेशा एक साथ विकास किया है। पूरे विश्व की जीडीपी में दोनों का योगदान हमेशा समान रहा है, और पतन भी दोनों का साथ-साथ हुआ है। ये युग फिर से एशिया का आया है। और बहुत तेजी से भारत और चीन दोनों साथ-साथ आगे बढ़ रहे हैं।
फरीद जकारियाः लेकिन मुझे लगता है, लोग अभी भी यह सोचते होंगे, कि क्या भारत 8 से 9 प्रतिशत की विकास दर हासिल कर सकता है, जो चीन लगातार 30 सालों से हासिल करता आ रहा है, जबकि भारत ने यह काफी छोटे से अरसे के लिए किया है?
प्रधानमंत्री मोदीः पहला, मेरा पूरा विश्वास है, कि भारत में ये क्षमताएं अपरंपार हैं। मुझे क्षमताओं के विषय में आशंका नहीं है। एक सौ पच्चीस करोड़ नागरिकों के उद्यमी स्वभाव पर मेरा पूरा भरोसा है। बहुत क्षमताएं है। सिर्फ क्षमताओं को कैसे हासिल करना है, उसका रोडमैप मेरे मन में बहुत स्पष्ट है।
फरीद जकारियाः पिछले दो साल में पूर्वी चीन के समुद्र और दक्षिणी चीन के समुद्र में चीन के व्यवहार ने इसके कई पड़ोसियों को चिंता में डाला है। फिलीपींस और वियतनाम में राष्ट्रप्रमुखों ने यह चिंता जताते हुए काफी कठोर वक्तव्य दिए हैं। क्या आपको इसकी चिंता है?
प्रधानमंत्री मोदीः भारत की मिट्टी अलग प्रकार की है। सवा सौ करोड़ लोगों का देश है। हर छोटी-मोटी चीजों से चिंतित होकर देश नहीं चलता है। लेकिन समस्याओं की तरफ हम आंख बंद करके भी नहीं रह सकते हैं। हम 18वीं शताब्दी में नहीं रह रहे हैं। सहभागिता का युग है ये। और हर किसी को हर किसी की मदद लेनी पड़ेगी और हर किसी को हर किसी की मदद करनी पड़ेगी। चीन भी एक बहुत पुरातन सांस्कृतिक विरासत वाला देश है। और जिस प्रकार से चीन में आर्थिक विकास की ओर ध्यान गया है, तो वो भी विश्व से अलग होना पसंद करेगा, ऐसा मैं नहीं मानता हूं। हम भी चीन की समझदारी पर भरोसा करें, विश्वास करें, कि वह वैश्विक कानूनों को स्वीकार करेगा, और सबके साथ मिलजुलकर आगे बढ़ने में वह अपनी भूमिका निभाएगा।
फरीद जकारियाः क्या आप चीन को देखकर यह महसूस करते हैं, कि यह इतनी तेजी से विकसित हो सका है, वास्तव में मानवीय इतिहास में सबसे तेजी से, क्योंकि यहां अथॉटेरियन सरकार है। क्योंकि यहां पर सरकार के पास अच्छे बुनियादी ढांचे के विकास, निवेश के लिए इंसेंटिव के निर्माण की शक्ति है। क्या आप इसे देखते हैं और यह सोचते हैं, कि लोकतंत्र का यह मूल्य चुकाना पड़ता है, कि आपको सब चीजें धीरे-धीरे करनी पड़ती हैं?
प्रधानमंत्री मोदीः देखिए दुनिया में चीन जैसे एक उदाहरण है, वैसे लोकतांत्रिक देश भी एक उदाहरण हैं। वो भी उतने ही तेजी से आगे बढ़े हैं। ऐसा नहीं है, कि लोकतंत्र है तो ग्रोथ संभव नहीं है। आवश्यकता है कि हम अपने लोकतांत्रिक फ्रेमवर्क में रहें। क्योंकि वह हमारा डीएनए है। वह हमारी बहुत बड़ी अमानत है। उसमें हम कोई समझौता नहीं कर सकते।
फरीद जकारियाः यदि आप चीन सरकार की शक्ति को देखें, तो क्या आप नहीं चाहेंगे, कि आपके पास कुछ वैसी ही अथॉरिटी हो?
प्रधानमंत्री मोदीः देखिए, मैंने तो लोकतंत्र की ताकत देखी है। अगर लोकतंत्र न होता, तो मोदी जैसा एक गरीब परिवार में पैदा हुआ बच्चा यहां कैसे बैठता? ये ताकत लोकतंत्र की है।
फरीद जकारियाः अमेरिका में कई, और भारत में कुछ लोग हैं, जो चाहते हैं, कि अमेरिका और भारत को निकट सहयोगी होना चाहिए। वे विश्व के सबसे पुराने लोकतंत्र और विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र हैं। लेकिन किसी कारणवश यह कभी नहीं हो सका और हमेशा कुछ बाधाएं और मुश्किलें आती रहीं। क्या आपको लगता है, कि अमेरिका और भारत के लिए रणनीतिक गठबंधन विकसित कर पाना संभव है?
प्रधानमंत्री मोदीः पहली बात है, कि मैं इसका एक शब्द में जवाब देता हूं कि हां! और बड़े विश्वास के साथ मैं कहता हूं, हां। और मैं जो यह हां कहता हूं, उसका मतलब यह है कि भारत और अमेरिका के बीच में कई समानताएं हैं। अब पिछली कुछ सदियों की ओर देखेंगे तो दो चीजें ध्यान में आएंगी। दुनिया के हर किसी को अमेरिका ने अपने में समाया है और हर भारतीय ने दुनिया में हर इलाके में अपने आप को बसाया है। ये एक बहुत टिपिकल नेचर है, दोनों समाजों का। प्राकृतिक रूप से सहअस्तित्व के स्वभाव के ये दोनों देश हैं। दूसरा, ये बात ठीक है, कि पिछली शताब्दी में काफी उतार-चढ़ाव रहा। लेकिन 20वीं सदी के अंत से लेकर 21वीं सदी के पहले दशक में आप देखेंगे कि बहुत बदलाव आया है। संबंध बहुत गहरे हुए हैं। ऐतिहासिक रूप से, सांस्कृतिक विरासत के रूप में इन दोनों देशों की कई साम्यताएं हैं, वो हमें जोड़कर रखती हैं और मुझे लगता है, कि ये जुड़ाव आगे और गहरा होगा।
फरीद जकारियाः ओबामा प्रशासन के साथ आपके अब तक के संपर्क में कई कैबिनेट मंत्री यहां आए हैं। क्या आपको लगता है, कि वॉशिंगटन में वास्तविकता में भारत के साथ संबंधों को ठोस रूप से अपग्रेड करने की इच्छा है?
प्रधानमंत्री मोदीः पहली बात है, कि भारत और अमेरिका के संबंधों को सिर्फ दिल्ली और वॉशिंगटन के दायरे में नहीं देखना चाहिए। एक बहुत बड़ा दायरा है। अच्छी बात यह है, कि दिल्ली और वॉशिंगटन दोनों का मूड भी बड़े दायरे के अनुकूल बनता जा रहा है और उसमें भारत की भी भूमिका है, वॉशिंगटन की भी भूमिका है।
फरीद जकारियाः यूक्रेन में रूस की कार्यवाही के संबंध में भारत कुछ खास सक्रिय नहीं रहा है। आप रूस के द्वारा क्रीमिया पर कब्जा किए जाने के बारे में क्या सोचते हैं?
प्रधानमंत्री मोदीः पहली बात है, कि जो कुछ भी वहां हुआ, जो निर्दोष लोग मारे गए, या एक विमान हादसा जो हुआ, ये सारी बातें दुखद हैं। आज के युग में, मानवता के लिए ये कोई अच्छी बातें नहीं हैं। हमारे यहां एक कहावत है हिंदुस्तान में कि, पहला पत्थर वो मारे, जिसने कोई पाप न किया हो। दुनिया में ऐसे समय उपदेश देने वालों की संख्या तो बहुत रहती है, लेकिन उनके आंचल में देखें तो पता चले कि उन्होंने भी कभी न कभी ऐसे पाप किए हैं। भारत का सोचा-समझा यही दृष्टिकोण है, कि मिल-बैठकर, बातचीत करके समस्याओं का समाधान करने का प्रयास करते रहना चाहिए, निरंतर करते रहना चाहिए।
फरीद जकारियाः एक मुद्दा जिसके लिए भारत विश्व की सुर्खियों में आया है, या लोगों ने इसके बारे में सुना या पढ़ा है, और जो काफी दुर्भाग्यपूर्ण है, वह है, महिलाओं के खिलाफ हिंसा और बलात्कार। आप क्या सोचते हैं, कि भारत में महिलाओं के खिलाफ हिंसा और व्यापक भेदभाव की समस्या क्यों है? और इस बारे में क्या किया जा सकता है?
प्रधानमंत्री मोदीः एक तो इस समस्या का मूल क्या है, हम पॉलिटिकल पंडितों को इसमें उलझना नहीं चाहिए, और ज्यादा नुकसान पॉलिटिकल पंडितों की बयानबाजी से होता है। महिलाओं की इज्जत हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है और इसमें कोई समझौता नहीं होना चाहिए। कानून व्यवस्था में कोई गिरावट नहीं आना चाहिए। परिवार की संस्कृति को भी हमें एक बार फिर से पुनर्जीवित करना पड़ेगा, जिसमें नारी का सम्मान हो, नारी को समानता मिले, उसका गौरव बढ़े। और उसके लिए प्रमुख एक काम है, बालिकाओं की शिक्षा। उससे भी सशक्तिकरण की पूरी संभावना बढ़ेगी। और मेरी सरकार ने 15 अगस्त को भी बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, ये एक मूवमेंट आगे बढ़ाया है।
फरीद जकारियाः आयमान अल जवाहिरी, अलकायदा के मुखिया ने भारत में अलकायदा की शाखा के निर्माण की अपील करते हुए एक वीडियो जारी किया है। वे कहते हैं, कि दक्षिण एशिया में, लेकिन यह संदेश सीधे भारत की ओर निर्देशित है, कि वे मुसलमानों को उस दमन से मुक्त कराना चाहते हैं, जो उन्होंने गुजरात में, कश्मीर में झेला है। क्या आप सोचते हैं? क्या आप चिंता करते हैं, कि इस तरह की कोई मंशा सफल हो सकती है?
प्रधानमंत्री मोदीः मैं समझता हूं, कि हमारे देश के मुसलमानों के साथ ये अन्याय कर रहे हैं। उनको लगता है, कि भारत का मुसलमान उनके नचाने पर नाचेगा, ऐसा अगर कोई मानता है, तो वो भ्रम में है। भारत का मुसलमान हिंदुस्तान के लिए जिएगा, हिंदुस्तान के लिए मरेगा। हिंदुस्तान का बुरा हो, ऐसा कुछ भी वो नहीं चाहेगा।
फरीद जकारियाः यह एक बड़ी बात है, कि आपके पास 17 करोड़ मुसलमान हैं, जबकि अलकायदा के सदस्य नहीं हैं, या बहुत कम हैं। ऐसा क्यों है? यद्यपि अलकायदा अफगानिस्तान में है, और निश्चित ही पाकिस्तान में कई हैं? लेकिन वह क्या बात है, जिससे भारतीय मुस्लिम समुदाय उससे प्रभावित नहीं होता है?
प्रधानमंत्री मोदीः पहली बात है, कि इसका मनोवैज्ञानिक और धार्मिक विश्लेषण करने के लिए मैं अधिकृत नहीं हूं। लेकिन दुनिया में मानवतावाद की रक्षा होनी चाहिए या नहीं होनी चाहिए? मानवतावाद में विश्वास करने वाले लोगों को एक होना चाहिए या नहीं होना चाहिए? दुनिया में संकट मानवतावाद के खिलाफ है। इस देश के खिलाफ, उस देश के खिलाफ, इस जाति के खिलाफ, उस जाति के खिलाफ नहीं है। इसलिए हमें इसको मानवतावादी और मानवताविरोधी के रूप में देखना चाहिए। इससे आगे सोचने की जरूरत नहीं है।
फरीद जकारियाः आज से एक या दो साल बाद आप क्या चाहते हैं, कि लोग क्या कहें, कि नरेंद्र मोदी की, ऑफिस में अपने कार्यकाल के दौरान क्या उपलब्धियां रही हैं?
प्रधानमंत्री मोदीः सबसे बड़ी बात है, देश की जनता का भरोसा। यह भरोसा कभी टूटना नहीं चाहिए। अगर भारत की जनता को यह भरोसा देने में मैं सफल होता हूं, और मेरी वाणी से नहीं, बल्कि व्यवहार से, तो फिर भारत को आगे बढ़ाने में सवा सौ करोड़ देशवासियों की ताकत जी-जान से जुट जाएगी।
फरीद जकारियाः एक अंतिम प्रश्न, आप आराम कैसे करते हैं? जब आप काम नहीं कर रहे हैं, तब आप क्या करना पसंद करते हैं?
प्रधानमंत्री मोदीः पहली बात है, कि मैं ‘नॉट-वर्किंग’’ वाला टाइप ही नहीं हूं। मेरे काम से ही मुझे आनंद आता है, मेरे काम से ही मुझे सुकून मिलता है। हर बार, हर समय मैं नया सोचता रहता हूं। कोई नई योजना बनाता हूं, काम के नए तरीके खोजता हूं। और उसी में जैसे कि एक वैज्ञानिक को अपनी लैब में पागलपन की तरह आनंद आता है, वैसे ही मुझे गवर्नेंस में नई-नई चीजें करने में, लोगों को जोड़ने में, अपने आप में एक आनंद आता है। वही आनंद मेरे लिए काफी है।
फरीद जकारियाः क्या आप ध्यान करते हैं? क्या आप योगा करते हैं?
प्रधानमंत्री मोदीः ये मेरा सौभाग्य रहा कि मेरा बचपन से ही, योगा की दुनिया से परिचय रहा, प्राणायाम से परिचय रहा। और वो मेरे लिए काफी उपयोगी रहा है, और मैं हमेशा हर एक को कहता हूं, कि थोड़ा सा इसको जीवन में हिस्सा बनाइए।
फरीद जकारियाः आपने योगा के फायदों के बारे में एक लंबा भाषण दिया था। बताइए कि आप इसे किस रूप में देखते हैं?
प्रधानमंत्री मोदीः देखिए, कभी भी हमने देखा होगा, हमारा मन एक काम करता है, शरीर दूसरा काम करता है और समय हमें टकराव की दिशा में ला देता है, जो मन, बुद्धि और शरीर तीनों को एक कर पाता है, वो है योगा!

CNN को दिए मोदी के इंटरव्यू की 10 खास बातें

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पद संभालने के बाद दिए पहले इंटरनैशनल इंटरव्यू में देश-दुनिया के कई मुद्दों पर बातचीत की। सीएनएन के वरिष्ठ पत्रकार फरीद जकारिया को दिए इस इंटरव्यू में मोदी ने देश के विकास से लेकर चीन और अमेरिका के साथ रिश्तों पर भी बात की। पेश हैं इस इंटरव्यू की 10 अहम बातें:

1. लोगों की प्रतिभा को सही दिशा देने का रोडमैप है
पीएम नरेंद्र मोदी ने देश की तरक्की को लेकर पूछे गए सवाल पर कहा, 'एक वक्त हमारे देश को सोने की चिड़िया कहा जाता था। आज हम उस स्थान से फिसले हैं, लेकिन हमारे पास ऊपर उठने का मौका है। आज भी भारतीयों के अंदर असीमित प्रतिभा है। सवा सौ करोड़ लोगों की काबिलियत को सही दिशा देने के लिए मेरे पास पूरा रोडमैप है।'
पीएम ने कहा कि वह भाषणों के बजाय ऐक्शन से सबसे दिल जीतेंगे, तभी सब लोग साथ आएंगे और देश के विकास में योगदान देंगे। यह पूछे जाने पर कि क्या भारत पड़ोसी मुल्क चीन की ही तरह 9-10 पर्सेंट का स्थायी ग्रोथ रेट हासिल कर लेगा, पीएम ने कहा कि पिछले 5-6 दशकों में भारत और चीन ने दुनिया की ग्रोथ में समान योगदान दिया है। आज का दौर एशिया का दौर है और भारत-चीन एकसाथ आगे बढ़ रहे हैं। जब उनसे पूछा गया कि क्या भारत चीन बनता चाहता है, तो मोदी ने कहा कि भारत को भारत ही रहना चाहिए।

2. चीन से चिंता जैसी कोई बात नहीं
चीन की विस्तारवादी नीति से क्या भारत भी चीन के अन्य पड़ोसी देशों की तरह परेशान है, इस सवाल के जवाब में मोदी ने कहा, 'भारत अलग है। यह सवा सौ करोड़ लोगों का देश है। हम अगर हर छोटी बात की चिंता करेंगे तो देश नहीं चल पाएगा। मगर हम समस्याओं से आंख भी नहीं मूंद सकते। हम 18वीं सदी में नहीं रह रहे। यह पार्टनरशिप का युग है। हर एक को किसी न किसी की जरूरत पड़ती ही है। चीन इकनॉमिक डिवेलपमेंट की संस्कृति वाला देश है। ऐसे में उसे भी जरूरत पड़ेगी। हम मिलजुलकर आगे बढ़ेंगे।'

3. लोकतंत्र से विकास की असीम संभावनाएं
पीएम मोदी ने कहा कि विकास के मामले में कम्युनिस्ट चीन अगर एक उदाहरण है तो लोकतंत्र भी कम नहीं है। पीएम से पूछा गया था कि चीन में अधिकारवादी व्यवस्था की वजह से विकास की रफ्तार तेज है, ऐसे में भारत के पास क्या रणनीति है। इस पर उन्होने कहा, 'ऐसा नहीं है कि लोकतांत्रिक देश में विकास नहीं किया जा सकता। लोकतंत्र हमारी विरासत है, यह हमारे डीएनए में है। लोकतंत्र हमें समझौता करना नहीं सिखाता। मैंने लोकतंत्र की ताकत देखी है। मेरे जैसा गरीब परिवार का बच्चा यहां पहुंच सकता है, तो आप देख सकते हैं कि लोकतंत्र कितना शक्तिशाली है।

4. अमेरिका और भारत के रिश्ते मजबूत होंगे
अमेरिका और भारत के रिश्तों के और गहरे होने को लेकर पूरा विश्वास जताते हुए पीएम मोदी ने कहा, 'भारत और अमेरिका में कई समानताए हैं। कुछ दशकों को देखें तो पता चलता है कि अमेरिका ने कई देशों के लोगों को स्वीकार किया है और भारत के लोग दनिया के कई कोनों में पहुंचे हैं। इतिहास और संस्कृति के तौर पर भी दोनों देशों में कई समानताए हैं। ऐसे में दोनों देशों के बीच आपसी रिश्ते सहजता से मजबूत होंगे।'

5. यूक्रेन में जो कुछ हुआ, वह ठीक नहीं 
यूक्रेन संकट पर भारत की ओर से साफ रुख न होने के सवाल पर पीएम ने कहा, 'यूक्रेन में जो कुछ हुआ वह दुखद था। निर्दोष लोगों का मारा जाना, प्लेन को उड़ा दिया जाना सही नहीं है। हमारे यहां कहावत यह है कि पहला पत्थर वह मारे, जिसने खुद को क्राइम न किया हो। हर कोई दूसरों को सलाह देता घूम रहा है। मगर भारत का स्पष्ट विचार है कि इस मुद्दे पर एक मंच पर बैठकर बात करके सुलझाया जाना चाहिए।

6. महिला सशक्तिकरण के लिए प्रतिबद्ध
महिलाओं के खिलाफ अपराधों और महिला सशक्तीकरण के मुद्दे पर पीएम ने कहा कि राजनीतिक पंडित ऐसे मामलों को बिना सोचे-समझे टिप्पणी कर देते हैं, जिससे हालात खराब हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि लॉ ऐंड ऑर्डर को दुरुस्त करने के अलावा हमें ऐसा फैमिली कल्चर पैदा करना होगा, जिसमें महिला को समान दर्जा दिया जाए।' पीएम ने बताया कि सरकार ने 15 अगस्त से गर्ल्स चाइल्ड एजुकेशन प्रोग्राम शुरू किया है, जो महिला सशक्तिकरण के लिए उठाया गया अहम कदम है।

7. मुगालते में है अल कायदा
हाल ही में अल कायदा की ओर से भारत के मुस्लिमों पर हो रहे अत्याचारों का हवाला देते हुए अपनी शाखा शुरू करने के ऐलान पर पीएम ने कहा, 'अगर किसी को लगता है कि उनकी धुन पर भारतीय मुस्लिम नाचेंगे तो वह भ्रम में है। भारत के मुसलमान देश के लिए जिएंगे और देश के लिए मरेंगे। वे कभी भारत का बुरा नहीं चाहेंगे।'

8. लड़ाई मानवता और अमानवीय ताकतों में है
पीएम से पूछा गया कि 17 करोड़ की मुस्लिम आबादी होने के बावजूद क्यों भारत में अल कायदा जैसे आतंकी संगठन विस्तार नहीं कर पाए, जबकि पड़ोसी मुल्कों में हालात खराब हैं। इसके जवाब में पीएम ने कहा, 'मैं इस मसले पर कोई मनोवैज्ञानिक अध्ययन नहीं कर सकता, लेकिन यह लड़ाई साफ तौर पर इंसानियत और हैवानियत के बीच की है। यह किसी इलाके या वर्ग से जुड़ा मसला नहीं है। इससे निबटने के लिए मानवतावाद को जिंदा करने और एकीकृत करने की जरूरत है।'

9. मेरे पास आराम का वक्त नहीं
यह पूछे जाने पर कि नॉन वर्किंग आवर्स में वह क्या करते हैं, पीएम ने कहा कि उनके पास ऐसे फुरसत के पल नहीं होते। उन्होंने कहा, 'मैं कभी नॉन वर्किंग नहीं होता। मैं काम में आनंद लेता हूं। हर वक्त कुछ सोचता रहता हूं, योजनाएं बनाता रहता हूं। जैसे साइंटिस्ट को लैब में घंटों बिताकर मजा आता है, वैसे ही मुझे गवर्नेंस में खुशी मिलती है।'

10. हर किसी को योग करना चाहिए
जब पीएम से पूछा गया कि क्या वह किसी तरह का ध्यान या योग करते हैं, उन्होंने कहा, 'यह मेरा सौभाग्य रहा है कि मैं बहुत पहले योग के संपर्क में आया। मैं हर किसी को यह करने की सलाह दूंगा। देखिए कभी-कभी हम नोटिस करते हैं कि दिमाग एक तरह से और शरीर दूसरी तरह से काम करता है। योग दिल, दिमाग और शरीर के बीच सामंजस्य बैठाता है।'

No comments:

Post a Comment